Bhai Dooj 2021: भाई दूज है कल,किस शुभ मुहूर्त में करें भाई का तिलक

Bhai Dooj | Bhaiya Dooj

Bhai Dooj २०२१:

हिंदू धर्म में भाई दूज का विशेष महत्व है। पांच दिनों तक चलने वाले दिवाली के त्योहार का समापन भाई दूज के दिन होता है। हिंदू पंचांग के अनुसार, भाई दूज या भैया दूज कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है। रक्षा बंधन की तरह  यह त्योहार भी भाई-बहन के प्रति एक-दूसरे के स्नेह को दर्शाता है।

Bhai Dooj २०२१: भाई दूज पूजा मुहूर्त

भाई दूज अपराह्न समय- ०१:१० PM से ०३:२१ PM

अवधि – ०२ घण्टे ११ मिनट

द्वितीया तिथि प्रारम्भ- ०५ नवम्बर २०२१ को ११:१४ PM बजे

द्वितीया तिथि समाप्त – ०६ नवम्बर २०२१ को ०७:४४ PM बजे

कहा जाता है यम द्वितीया-

भाई दूज को यम द्वितीया भी कहा जाता है। इस दिन मृत्यु के देवता यमराज की भी पूजा की जाती है। भाई दूज पर बहनें भाई की लंबी आयु की कामना करती हैं। इस तिथि को भ्रातृ द्वितीया भी कहा जाता है। भाई दूज के दिन बहनें भाई को तिलक करके उनके उज्जवल भविष्य और लंबी आयु की कामना करती हैं।

भाई दूज से जुड़ी मान्यताएं-

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भाई दूज के दिन भाई की हथेली पर बहनें चावल का घोल लगाती हैं उसके ऊपर सिन्दूर लगाकर कद्दू के फूल, पान, सुपारी मुद्रा आदि हाथों पर रखकर धीरे धीरे पानी हाथों पर छोड़ते हुए कहती हैं जैसे ‘गंगा पूजे यमुना को यमी पूजे यमराज को, सुभद्रा पूजा कृष्ण को, गंगा यमुना नीर बहे मेरे भाई की आयु बढ़े’। इस दिन शाम के समय बहनें यमराज के नाम से चौमुख दीया जलाकर घर के बाहर रखती हैं। इस समय ऊपर आसमान में चील उड़ता दिखाई दे तो बहुत ही शुभ माना जाता है। माना जाता है कि बहनें भाई की आयु के लिए जो दुआ मांग रही हैं उसे यमराज ने कुबूल कर लिया है या चील जाकर यमराज को बहनों का संदेश सुनाएगा।

भाई दूज से जुड़ी भगवान श्री कृष्ण और सुभद्रा की कथा-

एक पौराणिक कथा के अनुसार भाई दूज के दिन भगवान श्री कृष्ण नरकासुर राक्षस का वध कर द्वारिका लौटे थे. इस दिन भगवान कृष्ण की बहन सुभद्रा ने फल,फूल, मिठाई और अनेकों दीये जलाकर उनका स्वागत किया था. सुभद्रा ने भगवान श्री कृष्ण के मस्तक पर तिलक लगाकर उनकी दीर्घायु की कामना की थी.

Bhai Dooj 2021: गोवर्धन भगवान की आरती

श्री गोवर्धन महाराज, ओ महाराज,

‘तेरे माथे मुकुट विराज रहेओ।’

तोपे पान चढ़े तोपे फूल चढ़े, तोपे चढ़े दूध की धार।

‘तेरे माथे मुकुट विराज रहेओ।’

तेरी सात कोस की परिकम्मा, और चकलेश्वर विश्राम

“तेरे माथे मुकुट विराज रहेओ।”

तेरे गले में कण्ठा साज रहेओ,

ठोड़ी पे हीरा लाल।

“तेरे माथे मुकुट विराज रहेओ।”

तेरे कानन कुण्डल चमक रहेओ, तेरी झाँकी बनी विशाल।

” तेरे माथे मुकुट विराज रहेओ। “

गिरिराज धरण प्रभु तेरी शरण।

करो भक्त का बेड़ा पार

तेरे माथे मुकुट विराज रहेओ।

 

श्री कृष्णा आरती

जग सुखी तो हम सुखी
बोलो सियावर रामचंद्र की जय

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