बसंत पंचमी का पर्व हर साल माघ माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है। इस बार बसंत पंचमी 5 फरवरी, शुक्रवार के दिन पड़ रही है। यह पर्व माघ महीना के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है। ऋतुराज बसंत का आगमन इसी दिन होता है। अतः हिन्दू धर्म को मानने वाले मनुष्य इसे बहुत ही हर्षोल्लास से मनाते हैं और आने वाली होली पर्व की जगह पर पूजा अर्चना करके वहां पर गाये के शुद्ध गोबर के बने उपले रखे जाते है और ये सुनिचित करते हैं की बसंत आ गया है । बसंत पंचमी पर्व विशेष रूप से बुद्धि व विद्या की अधिष्ठात्री मां सरस्वती को समर्पित होता है। इस अवसर पर मां शारदे की विशेष पूजा एवं आराधना की जाती है। इसके अलावा इस दिन कामदेव की भी आराधना का भी विधान है। पौराणिक मान्यता के अनुसार माघ शुक्ल पंचमी को ज्ञान की देवी मां सरस्वती का अवतरण हुआ था। इसी के कारण इस दिन विधि-विधान से माँ वीणा वादिनी की पूजा की जाती है।
हिन्दू पंचांगीय गणना के अनुसार ५ फरवरी को प्रात: ६ बजकर ४२ मिनट से पंचमी शुरू होगी। यह तिथि अगले दिन ६ फरवरी, शनिवार की सुबह ६.४४ बजे तक रहेगी। इस दिन कला प्रेमी व छात्र-छात्राएं मां शारदे की आराधना करते हैं। इसको लेकर अपने घरों और सार्वजनिक स्थलों पर मां सरस्वती की मूर्ति स्थापित करते हैं तथा शुभ मुहूर्त में वैदिक विधि-विधान के साथ पूजा करते हैं। ऐसा माना जाता है की माँ सरस्वती इस दिन अपने भक्तों पर विशेष कृपा बरसाती हैं। बसंत पंचमी के दिन मां को जल्दी प्रसन्न करने के लिए सरस्वती वंदना और सरस्वती मंत्रों का जाप अवश्य करें। आइए माँ सरस्वती की वंदना करें।
या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता,
या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना। या ब्रह्माच्युत शंकरप्रभृतिभिर्देवैः सदा वन्दिता,सा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा॥
शुक्लां ब्रह्मविचार सार परमामाद्यां जगद्व्यापिनीं,
वीणा-पुस्तक-धारिणीमभयदां जाड्यान्धकारापहाम्।
हस्ते स्फाटिकमालिकां विदधतीं पद्मासने संस्थिताम्,
वन्दे तां परमेश्वरीं भगवतीं बुद्धिप्रदां शारदाम्॥
सर्वस्य बुद्धि -रूपेण जनस्य हृदि संस्थिते
स्वर्गापवर्गदे देवी नारायणी नमोस्तुते ।
कालकस्तादिरूपेण परिणाम -प्रदायिनी
विस्वस्योपरतौ सक्त्यै नारायणी नमोस्तुते ।
सर्व -मङ्गल -मङ्गल्ये शिवे सर्वार्थ -साधिके
शरण्ये त्र्यम्बके गौरी नारायणी नमोस्तुते |
सर्ष्टि -स्थिति -विनासानां शक्ति भूते सनातनी
गुणाश्रये गुणमयी नारायणी नमोस्तुते |
शरणागत -दिनार्त -परित्राण – परायणे
सर्वस्वर्ति -हरे देवी नारायणी नमोस्तुते |
हंस -युक्त -विमान -स्थे ब्राह्मं रूप -धारिणी
कौसम्भः क्षरिके देवी नारायणी नमोस्तुते |
त्रिशूल-चान्द्राहि -धरे महा -वृषभ -वाहिनी
महेश्वरी -स्वरूपेण नारायणी नमोस्तुते I
मयूर -कुक्कुटा-वृते महा -शक्ति -धरे नाघे
कौमारी रूप -संस्थाने नारायणी नमोस्तुते |
संख -चक्र -गदसार्ङ्ग -गृहीत -परमायुधे
प्रसीद वैष्णवी-रूपे नारायणी नमोस्तुते |
गृहितोग्र -महाचक्रे दन्स्त्रोद्ध्रित -वसुन्धरे
वराह -रूपिणी शिवे नारायणी नमोस्तुते |
नरसिंह रुपेनोग्रेण हन्तुं दैत्यन कृतोद्यमे
त्रैलोक्य -त्राण-सहिते नारायणी नमोस्तुते |
किरीटिनि महावज्रे सहस्र -नयनोज्ज्वले
वृत्र -प्राण -हरे चैन्द्री नारायणी नमोस्तुते |
शिव दूति-स्वरूपेण हत -दैत्य -महाबले
घोर -रूपे महारवे नारायणी नमोस्तुते |
दंष्ट्त्र -कराल-वदने सिरोमाल -विभूषणे
चामुण्डे मुण्ड -मथने नारायणी नमोस्तुते |
लक्ष्मी लज्जे महाविदये श्राद्धे पुष्टि -स्व्रधे ध्रुवे
महारात्रि महा विदये नारायणी नमोस्तुते |
मेधे सरस्वती वरे भूति बभ्रावि तमसि
नियते त्वं प्रसीदेसे नारायणी नमोस्तुते |।
१) सरस्वति महाभागे विद्ये कमललोचने। विद्यारूपे विशालाक्षी विद्यां देहि नमोस्तुते।।
२) ओम ऐं ह्रीं क्लीं महासरस्वती देव्यै नमः।।
३) सर्वस्य बुद्धि -रूपेण जनस्य हृदि संस्थिते, स्वर्गापवर्गदे देवी नारायणी नमोस्तुते।।
जय सरस्वती माता, ॐ जय जय सरस्वती माता
सदगुण वैभव शालिनी, सदगुण वैभव शालिनी
त्रिभुवन विख्याता, जय जय सरस्वती माता।
ॐ जय सरस्वती माता, ॐ जय जय सरस्वती माता
सदगुण वैभव शालिनी, सदगुण वैभव शालिनी
त्रिभुवन विख्याता, जय जय सरस्वती माता
चन्द्रबदनि पद्मासिनि, कृति मंगलकारी
मैय्या कृति मंगलकारी
सोहे शुभ हंस सवारी, सोहे शुभ हंस सवारी
अतुल तेज धारी
जय जय सरस्वती माता
बाएं कर में वीणा, दाएं कर माला
मैय्या दाएं कर माला
शीश मुकुट मणि सोहे, शीश मुकुट मणि सोहे
गल मोतियन माला
ॐ जय जय सरस्वती माता
देवी शरण जो आए, उनका उद्धार किया
मैय्या उनका उद्धार किया
बैठी मंथरा दासी, बैठी मंथरा दासी
रावण संहार किया
जय जय सरस्वती माता
विद्यादान प्रदायनि, ज्ञान प्रकाश भरो
जन ज्ञान प्रकाश भरो
मोह अज्ञान की निरखा, मोह अज्ञान की निरखा
जग से नाश करो
जय जय सरस्वती माता
धूप, दीप, फल, मेवा, माँ स्वीकार करो
ओ माँ स्वीकार करो
ज्ञानचक्षु दे माता, ज्ञानचक्षु दे माता
जग निस्तार करो
जय जय सरस्वती माता
माँ सरस्वती की आरती, जो कोई जन गावै
मैय्या जो कोई जन गावै
हितकारी सुखकारी हितकारी सुखकारी
ज्ञान भक्ति पावै
जय जय सरस्वती माता।
ॐ जय सरस्वती माता, जय जय सरस्वती माता
सदगुण वैभव शालिनी, सदगुण वैभव शालिनी
त्रिभुवन विख्याता
जय जय सरस्वती माता।
ॐ जय सरस्वती माता, जय जय सरस्वती माता
सदगुण वैभव शालिनी, सदगुण वैभव शालिनी
त्रिभुवन विख्याता, जय जय सरस्वती माता
जग सुखी तो हम सुखी
प्रेम से बोलो राधे राधे
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