व्रत एवं त्यौहार

गणेश चतुर्थी २०२१, स्थापना, पूजन एवं विसर्जन

भाद्रपद मास में आने वाले त्योहारों में एक त्यौहार और(and) जुड़ने जा रहा है आने वाली १० सितम्बर को।

हिंदू धर्म में गणेश चतुर्थी का विशेष महत्व है। भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को गणेश चतुर्थी मनाते हैं। सभी देवों में प्रथम आराध्य देव श्रीगणेश जी की पूजा करने और(and) उन्हें प्रसन्न करने का त्योहार इस साल १० सितंबर २०२१ से शुरू हो रहा है। इस दिन भगवान गणेश जी का आगमन पूजा स्थल पर होगा और(and) १९ सितंबर २०२१, अनंत चतुर्दशी के दिन उन्हें विदा और विसर्जन किया जाएगा।

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वैदिक रीतियों अनुसार, भगवान गणेश की कृपा से सुख-शांति, सौभाग्य और(and) समृद्धि की प्राप्ति होती है। मान्यता है कि श्री गणेश चतुर्थी के दिन व्यक्ति को काले और(and) नीले रंग के वस्त्र धारण नहीं करने चाहिए तथा इस दिन लाल या पीले रंग के वस्त्र पहनना शुभ होता है। आगे हम विस्तार से जानेंगे की इन १० दिनों में किन ४ राशियों पर भगवान श्री गणेश की विशेष कृपा रहने वाली है। उससे पहले हम जानते है की पूजा का शुभ मुहूर्त कर है तथा इन दोनों में क्या करना और क्या नहीं करना चाहिए ।

गणेश चतुर्थी २०२१ पूजन का शुभ मुहूर्त:

गणेश चतुर्थी पूजन के लिए शुभ मुहर्त दोपहर १२:१७ बजे शुरू होकर और रात्रि १० बजे तक रहेगा।

क्या नहीं करना चाहिए ?

ऐसा मन जाता है कि गणेश चतुर्थी के दिन चंद्रमा के दर्शन नहीं करने चाहिए। अगर भूलवश चंद्रमा के दर्शन कर भी लें, तो जमीन से एक पत्थर का टुकड़ा उठाकर पीछे की ओर फेंक दें नहीं तो लांछन लगने की आशंका रहती है ।

भगवान गणेश जी को भोग क्या चढ़ाएं और क्या नहीं ?

गणेश जी को पूजन करते समय दूब घास, गन्ना और(and) बूंदी के लड्डू, पुष्प, फल, पान, सुपारी, लौंग, सुपारी, इलायची, जनेऊ, मौली, चन्दन, रोली, गोला आदि अर्पित करने चाहिए। मान्यता है कि ऐसा करने से भगवान गणेश जी प्रसन्न होते हैं और(and) अपना शुभाशीष प्रदान करते हैं। कहते हैं कि गणपति जी को तुलसी दल (तुलसी के पत्ते) नहीं चढ़ाने चाहिए। ऐसा मन जाता है कि माता तुलसी ने भगवान श्री गणेश को लम्बोदर और(and) गजमुख कहकर शादी का प्रस्ताव ठुकरा दिया था, इससे नाराज होकर गणपति ने उन्हें श्राप दे दिया था। तभी से तुसली दल श्री गणेश जी को नहीं चढ़ाए जाते हैं ।

आइये जानते हैं किस राशि के लिए कैसे रहेंगे ये १० दिन ?

वृषभ राशि:

इन दिनों में वृषभ राशि के जातकों पर भगवान श्री गणेश की विशेष कृपा रहेगी। ज्योतिषीय गणना के अनुसार ग्रहों की स्थिति आपके लिए अनुकूल दिखाई दे रही है। आपको भाग्य का साथ मिलेगा। नए काम की शुरुआत कर सकते हैं। करियर में वृद्धि होगी। आर्थिक स्थिति पहले से अच्छी होगी। निवेश से लाभ प्राप्त होने के आसार रहेंगे।

मिथुन राशि:

गणेश चतुर्थी उत्सव के १० मिथुन राशि के लिए बेहद शानदार रहेंगे। गणपति बप्पा की विशेष कृपा बनेगी। करियर में तरक्की होगी। बिजनेस में धन लाभ होने के आसार रहेंगे। धन-दौलत में बढ़ोतरी के आसार हैं। इस दौरान जिस भी काम में हाथ डालेंगे उसमें सफलता मिलने की ज्यादा सम्भावना है ।

सिंह राशि:

सिंह राशि वालों गणेशोत्सव आपके लिए खुशियां लेकर आएगा। लंबे समय से चली आ रही परेशानियों का अंत होता दिखाई दे रहा है। गणेश भगवान की कृपा से आपके रुके हुए काम पूर्ण होंगे। धन-धान्य में बढ़ोतरी के प्रबल आसार रहेंगे। कार्यक्षेत्र में आपके काम की प्रशंसा हो सकती है। लाभ कमाने के कई नए अवसर प्राप्त होंगे।

कन्या राशि:

ये समय कन्या राशि के लिए किसी वरदान से कम नहीं होगा। आपके बिगड़े हुए काम बनेंगे। अचानक से धन की प्राप्ति हो सकती है। प्रोफेशनल और(and) पर्सनल दोनों ही लाइफ में आपको बेहतर परिणाम प्राप्त होंगे। आर्थिक स्थिति में जबरदस्त सुधार देखने को मिलेगा। जीवनसाथी का इस भरपूर साथ मिलेगा। भाग्य आपके साथ है।

 

गणेश चतुर्थी पूजा विधि :

गणेश चतुर्थी के दिन प्रातः काल स्नान-ध्यान करके गणपति के व्रत का संकल्प करें तथा उसके बाद पूजन करने के लिए दोपहर के समय (Ganpati) गणपति की मूर्ति या फिर उनका चित्र लाल कपड़े के ऊपर रखें। फिर गंगाजल छिड़कने के बाद भगवान गणेश का आह्वान करें। भगवान (Ganesh Ji)गणेश को पुष्प, सिंदूर, जनेऊ और(and) दूर्वा (घास) चढ़ाए। इसके बाद गणपति को मोदक लड्डू चढ़ाएं, मंत्रोच्चार से उनका पूजन करें। गणेश जी की कथा पढ़ें या सुनें, गणेश चालीसा का पाठ करें और अंत में आरती करें।

आरती :

सुख करता दुखहर्ता, वार्ता विघ्नाची
नूर्वी पूर्वी प्रेम कृपा जयाची
सर्वांगी सुन्दर उटी शेंदु राची
कंठी झलके माल मुकताफळांची

(jai dev)जय देव जय देव, जय मंगल मूर्ति
दर्शनमात्रे मनःकमाना पूर्ति
जय देव जय देव

रत्नखचित फरा तुझ गौरीकुमरा
चंदनाची उटी कुमकुम केशरा
हीरे जडित मुकुट शोभतो बरा
रुन्झुनती नूपुरे चरनी घागरिया

जय देव जय देव, जय मंगल मूर्ति
दर्शनमात्रे मनःकमाना पूर्ति
जय देव जय देव

लम्बोदर पीताम्बर फनिवर वंदना
सरल सोंड वक्रतुंडा त्रिनयना
दास रामाचा वाट पाहे सदना
संकटी पावावे निर्वाणी रक्षावे सुरवर वंदना

जय देव जय देव, जय मंगल मूर्ति
दर्शनमात्रे मनःकमाना पूर्ति
जय देव जय देव

शेंदुर लाल चढायो अच्छा गजमुख को
दोन्दिल लाल बिराजे सूत गौरिहर को
हाथ लिए गुड लड्डू साई सुरवर को
महिमा कहे ना जाय लागत हूँ पद को

जय जय जय जय जय
जय जय जी गणराज विद्यासुखदाता
धन्य तुम्हारो दर्शन मेरा मत रमता
जय देव जय देव

अष्ट सिधि दासी संकट को बैरी
विघन विनाशन मंगल मूरत अधिकारी
कोटि सूरज प्रकाश ऐसे छबी तेरी
गंडस्थल मद्मस्तक झूल शशि बहरी

(jai jai jai jai )जय जय जय जय जय
(jai)जय जय जी गणराज विद्यासुखदाता
धन्य तुम्हारो दर्शन मेरा मत रमता
जय देव जय देव

भावभगत से कोई शरणागत आवे
संतति संपत्ति सबही भरपूर पावे
ऐसे तुम महाराज मोको अति भावे
गोसावीनंदन निशिदिन गुण गावे

जय जय जी गणराज विद्यासुखदाता
धन्य तुम्हारो दर्शन मेरा मत रमता
जय देव जय देव

 

जग सुखी तो हम सुखी
प्रेम से बोलो
राधे राधे

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