जन्मकुंडली अध्ययन

Bhakut Dosh | भकूट दोष और उसके उपाय

Bhakut Dosh (भकूट दोष) और उसके उपाए क्या हैं :

भकूट दोष (Bhakoot Dosha): अक्सर हम जब कभी अपनी कुंडली किसी प्रसिद्द ज्योतिषी जी से कुंडली मिलान करवाते हैं या (or) आजकल ये देखा जाता हैं की खुद ही ऑनलाइन लड़का – लड़की अपनी कुंडली मिलान करते हैं तो (then) गुण तो अच्छे खासे मिल जाते हैं परन्तु (but) विवाह को श्रेयस्कर नहीं मानते जिनके कई कारण होते हैं जिनमे से एक जो की (which is) बहुत ही महत्त्वपूर्ण हैं वो होता हैं भकूट / भकूट दोष (Bhakoot Dosh)। जिसको (what) हर ब्राह्मण गंभीरता से लेने की सलाह देते हैं परन्तु (but) कभी कभी हमारे भाई बंधू भकूट / भकूट मिलान को हल्के में लेते हैं जो आगे चलकर दोनों की जिंदगी में बहुत परेशानियों का कारण बनता हैं । इसलिए भकूट दोष(Bhakuta Dosha) का भंग होना बहुत महत्वपूर्ण है। जब हम अष्टकूट गुण मिलन के माध्यम से कुंडली मिलान कर रहे हैं तो भकूट बहुत महत्वपूर्ण है।
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विवाह एक ऐसा बंधन होता हैं जिसका निर्णय जीवन में केवल एक बार लिया जाता अतः (so) हमारा हमेशा सबसे ये अनुरोध रहता हैं की बहुत सोच विचार करके ही विवाह करना चाहिए ।

अन्यथा (otherwise) विवाह के बाद वैवाहिक जीवन (Married Life) में अनेक प्रकार की बाधायें उत्पन्न होती है और (and) कभी-कभी तो ऐसी भी स्थिति आ जाती है कि (that) सम्बन्ध विच्छेद के लिए न्यायपालिका का दरवाजा तक खटखटाना पड़ता है।

यदि (if) समय से पूर्व भकूट दोष का निवारण कर लिया जाए तो (so) विवाह में किसी प्रकार की कोई रुकावट नहीं होती है तथा (or) जीवन सुखमय रहता है

भकूट दोष (Bhakut Dosh) को चार प्रकार से जाना जाता हैं जो की (like below) नीचे दिए गयी परिस्तिथिओ के आधार पर विभाजित की गयी हैं

Bhakuta Dosha (भकूट दोष) के प्रकार:

१) प्रथम परिस्तिथि में षष्ठ – अष्टम ( ६ – ८) की युति से जो भकूट दोष (bhakoot dosh) बनता हैं and उसके होने से वर-वधू में से एक की मृत्यु हो जाती है।

२) नवम-पंचम (९ – ५) की युति से जो भकूट दोष बनता हैं उसके होने से दोनों को संतान पैदा करने में मुश्किल होती है या (or) फिर सतान होती ही नहीं।

३) द्वादश-दो ( १२ – २ ) की युति से जो (what) भकूट दोष बनता हैं उसके होने से वर-वधू को दरिद्रता का सामना करना पड़ता है।

उदाहरण (Bhakut Dosh):

उदाहरण के लिए मान लीजिए कि वर की जन्म कुंडली में चन्द्रमा मेष राशि में स्थित हैं। यदि (if) कन्या की जन्म कुंडली में चन्द्रमा कन्या राशि में स्थित हैं तो इसे षड़-अष्टक भकूट दोष (Bhakut Dosh) का नाम दिया जाता है क्योंकि मेष राशि से गिनती करने पर कन्या राशि छठे तथा कन्या राशि से गिनती करने पर मेष राशि आठवें स्थान पर आती है।

यदि (if) कन्या की जन्म कुंडली में चन्द्रमा धनु राशि में स्थित हैं तो इसे नवम-पंचम भकूट दोष ( Bhakut Dosh ) का नाम दिया जाता है क्योंकि (because) मेष राशि से गिनती करने पर धनु राशि नवम तथा (or) धनु राशि से गिनती करने पर मेष राशि पांचवे स्थान पर आती है।

यदि (if) कन्या की जन्म कुंडली में चन्द्रमा मीन राशि में स्थित हैं तो इसे द्वादश-दो भकूट दोष का ( Bhakuta Dosha ) नाम दिया जाता है क्योंकि (because) मेष राशि से गिनती करने पर मीन राशि बारहवें तथा (or) मीन राशि से गिनती करने पर मेष राशि दूसरे स्थान पर आती है।

भकूट दोष (Bhakuta Dosha) उपाय :

१) यदि (if) वर-वधू दोनों की जन्म कुंडलियों में चन्द्र राशियों का स्वामी एक ही ग्रह हो तो भकूट दोष (bhakoot dosh) खत्म हो जाता है। जैसे (such as) कि मेष-वृश्चिक (१ – ८) तथा वृष-तुला (२ – ७) राशियों के एक दूसरे से छठे-आठवें (६ – ८) स्थान पर होने के बावजूद भी भकूट दोष नहीं बनता क्योंकि (as) मेष-वृश्चिक दोनों राशियों के स्वामी मंगल हैं तथा वृष-तुला दोनों राशियों के स्वामी शुक्र हैं। इसी प्रकार (like this) मकर-कुंभ राशियों के एक दूसरे से १२ – २ स्थानों पर होने के बावजूद (except) भी भकूट दोष (Bhakut Dosh) नहीं बनता (Bhakoot Dosha cancellation) क्योंकि (because) इन दोनों राशियों के स्वामी शनि हैं।

२) यदि (if) वर-वधू दोनों की जन्म कुंडलियों में चन्द्र राशियों के स्वामी आपस में मित्र हैं तो (so) भी दोष खत्म हो जाता है जैसे कि मीन-मेष तथा मेष-धनु में भकूट दोष नहीं बनता क्योंकि (because) इन दोनों ही उदाहरणों में राशियों के स्वामी गुरू तथा मंगल हैं जो कि (which) आपसे में मित्र माने जाते हैं। ज्यादा (for more) जानने के लिए आप नीचे दिए गए चार्ट का उपयोग कर सकते हैं

राशि स्वामी चार्ट:

मित्र गृह चार्ट:

३) इसके अतिरिक्त अगर (if) दोनो कुंडलियों के मिलान में ग्रहमैत्री, गणदोष, नाड़ी दोष न बनता हो, तो (then) भकूट दोष (Bhakut Dosh) के बनने के बावजूद भी इसका असर कम माना जाता है।

भकूट दोष (Bhakoot Dosh) के उपाय

१) वर-वधू दोनों के लिए (for) महामृत्युंजय का जाप करवायें एवं (and) गाय का दान करें ।

२) गुरुवार का व्रत रखें।

३) प्रतिदिन केले के वृक्ष पर हल्दी डालकर जल चढ़ाएं।

 

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उपरोक्त जानकारी को आप bhakoot dosha calculator  or bhakoot dosha remedies के रूप में प्रयोग कर सकते हैं Puja – Hinduism.

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JanamKundali
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