“कस्तूरी तिल्कम ललाटपटले, वक्षस्थले कौस्तुभम !
नासाग्रे वरमौक्तिकम करतले, वेणु करे कंकणम !
सर्वांगे हरिचन्दनम सुललितम, कंठ च मुक्तावाली !
गोपस्त्री परिवेश्तिथो विजयते, गोपाल चूड़ामणि !!”
भगवान श्री कृष्ण का सारा शरीर अलग अलग वजह से शोभाएमान हो रहा है
सव्दावसंतं ह्मदयारविन्दे, भवं भवानीसहितं नमामि।।
नित्य स्मरणीय गायत्री मन्त्र
ऊँ भूर्भव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यम् भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात्।
भावार्थ: उस प्राण स्वरूप, दु:ख नाशक,सुख स्वरूप, श्रेष्ठ, तेजस्वी, पापनाशक, प्रकाश
स्वरूप परमात्मा को हमअन्तरात्मा में धारण करें। वह परमात्मा हमारी बुद्धि को
सन्मार्ग में प्रेरित करे।
सूर्य नमस्कार
सूर्य देव के बारह नामों का स्मरण कर जल चढ़ाये। पात्र में जल ले उसमें लाल कुमकुम, लाल फूल डालें।
- श्री ऊँ मित्राय नम:
- ऊँ हिरण्यगर्माय नम:
- ऊँ रवये नम:
- ऊँ मरिचाय नम:
- ऊँ सूर्याय नम:
- ऊँ आदित्याय नम:
- ऊँ भानवे नम:
- ऊँ सावित्रे नम:
- ऊँ खगाय नम:
- ऊँ अकार्य नम:
- ऊँ पूष्णे नम:
- ऊँ भास्कराय नम:
श्री विष्णु स्तुति:
शान्ताकारं भुजगशयनं पद्मनाभं सुरेशहम्। विश्वाधारं गगनसदृशं मेघवर्ण शुभांगम्।।
लक्ष्मीकातं कमलनयनं योगिभिध्र्यानगम्यं। वन्दे विष्णुं भवभयहरं सर्वलोकैकनाथम्।।
राम स्तुति:
नीलाम्बुज श्यामलकोमलांगम् सीतासमारोपित-वामभागम्।
पाणौ महासायक-चारुचापं नमामि रामं रघुवंशनाथम्।।
श्री दुर्गा स्तुति:
जयन्ती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी। दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा
नमोस्तुते।।
सरस्वती स्तुति:
या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता या वीणावरदण्ड-मण्डितकरा या
श्वेतपद्मासना।
या ब्राहृाच्युतशंकरप्रभृतिभिर्देवै, सदा वन्दिता । सा मां पातु सरस्वती भगवती
नि:शेषजाड्यापहा।।
हनुमान स्तुति:
मनोजवं मारुत-तुल्य-वेगं, जितेन्द्रियं बुद्धिमतां वरिष्ठम्।
वातात्मजं वानरयूथमुख्यं, श्री रामदूतं शरणं प्रपद्ये।।
जग सुखी तो हम सुखी
सौरभ शुक्ला (ज्योतिष् शास्त्री)
प्रेम से बोलो राधे राधे
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